हरसिंगार एक दिव्य वृक्ष माना जाता है। हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। पारिजात का वृक्ष दस से पन्द्रह फीट ऊँचा होता है। हिन्दू धर्म में इस वृक्ष को बहुत ही ख़ास स्थान प्राप्त है।
पौराणिक उल्लेख
एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में लगाया था। हरिवंशपुराण में एक ऐसे वृक्ष का उल्लेख मिलता है जिसको छूने से देव नर्तकी उर्वशी की थकान मिट जाती थी । एक बार नारद मुनि इस वृक्ष से कुछ फूल इन्द्र लोक से लेकर कृष्ण के पास आये । कृष्ण ने वे फूल अपनी पत्नी रुक्मणी को दे दिये थे । यह जानकर सत्यभामा को क्रोध आ गया और उन्होंने ने कृष्ण के पास वृक्ष की मांग की ।
*भगवान हरि का श्रृंगार
हरसिंगार या हरिश्रृंगार का पुष्प भगवान हरि के श्रृंगार एवं पूजन में प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस मनमोहक व सुगंधित पुष्प को ‘हरसिंगार’ के नाम से जाना जाता है । ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण इस दिव्य वृक्ष को स्वर्ग से धरती पर लाए थे और जब कृष्ण परिजात का वृक्ष ले जा रहे थे तब देवराज इन्द्र ने वृक्ष को यह श्राप दे दिया कि इस पेड़ के फूल दिन में नहीं खिलेंगे । हरिवंश-पुराण के अनुसार, यह दिव्य वृक्ष इच्छापूरक भी है।
*’पारिजात’ नाम की एक राजकुमारी
मान्यता यह भी है कि ‘पारिजात’ नाम की एक राजकुमारी हुआ करती थी, जिसे भगवान सूर्य से प्रेम हो गया था। लेकिन भगवान सूर्य ने पारिजात के प्रेम कों स्वीकार नहीं किया, जिससे खिन्न होकर राजकुमारी पारिजात ने आत्महत्या कर ली। जिस स्थान पर पारिजात की क़ब्र बनी, वहीं से पारिजात नामक वृक्ष ने जन्म लिया। लेकिन सूर्य उदय के साथ ही पारिजात की टहनियाँ और पत्ते खिल जाते हैं
*बाराबंकी का पारिजात वृक्ष
कहा जाता है कि जब पांडव पुत्र माता कुन्ती के साथ अज्ञातवास व्यतीत कर रहे थे, तब उन्होंने ही सत्यभामा की वाटिका में से परिजात को लेकर बोरोलिया गाँव में रोपित कर दिया। पारिजात वृक्ष आज भी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के अंतर्गत रामनगर क्षेत्र के गाँव बोरोलिया में मौजूद है।
*देवी लक्ष्मी को प्रिय*
धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के पुष्प प्रिय हैं। उन्हें प्रसन्न करने में भी पारिजात वृक्ष का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है के, होली, दीवाली, ग्रहण, रवि पुष्प तथा गुरु पुष्प नक्षत्र में पारिजात की पूजा की जाए तो उत्तम फल प्राप्त होता है।
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प्रस्तुति
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७