छत्तीसगढ़ के युवाओं में 1,80,000 कर्मचारी-अधिकारी विभिन्न विभागों के केंद्र एवं राज्य प्रवर्तित योजनाओं में विगत 17 वर्षों से अनियमित कर्मचारी (संविदा/ठेका) होने का दंश झेल रहे हैं, प्रत्येक कर्मी न्यूनतम 15 से 20 रिश्तेदार के वोटों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे विधानसभा निर्वाचन 2018 को लगभग 18 से 20 लाख वोटर प्रभावित हो हुए , जिसका सीधा प्रभाव छत्तीसगढ़ सरकार बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ था ।
ज्ञातव्य हो, कि छत्तीसगढ़ सरकार ने लगभग 5-6 वर्षों पूर्व ही 8 वर्ष की सेवा अवधी को पूर्ण करने वाले शिक्षाकर्मियों को नियमित भी किया गया है और कुछ माह पूर्व ही उन्हें राज्य सरकार के कर्मचारी मानते हुए स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन भी किया, इसी के साथ ही मातृराज्य मध्यप्रदेश के संविदा कर्मचारियों को भी नियमित किया गया, इस विषय से माननीय प्रधानमंत्री महोदय को भी निरंतर अवगत कराया गया, किन्तु छत्तीसगढ़ के स्थाई निवासी होने के बावजूद भी आधी नौकरी- आधे वेतन से नाराज अनियमित कर्मियों ने विगत कई वर्षों से मौजूदा सरकार से नियमितीकरण की मांगों के लिए धरना, प्रदर्शन, आन्दोलन और शासन से पत्राचार निरंतर कई वर्षो से करने के बावजूद मौजूदा सरकार की अनदेखी और नजरअंदाज किये जाने से अनियमित कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त रहा था ।
सरकार बदलने से अपनी मांगों के सम्बन्ध में वर्तमान सरकार से अनियमित कर्मचारी संगठन काफी आशान्वित थी, किन्तु सरकार द्वारा कोई भी पहल नहीं होने से काफी आक्रोशित रहे हैं.
अपना विरोध प्रदर्शन हेतु “मेरा वोट उसको, जो नियमितीकरण करे मुझको” से सभी अनियमित कर्मचारी अपने नियमितीकरण की मांग को प्रबल बनाने परिवार और रिश्तेदारों को सम्पर्क कर ज्यादा से ज्यादा संख्या में मतदान करने हेतु प्रेरक मुहीमचला था ।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राहुल गाँधी जी ने प्रदेश कांग्रेस से चर्चा कर अपने संज्ञान में लिया और राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखा और इसे छत्तीसगढ़ के रोजगार और युवाओं के विकास में बाधक मानते हुए, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनेगी, “नियमित किये जायेंगे सभी अनियमित कर्मचारी” का भी केन्द्रीय होर्डिंग से अनियमित कर्मचारियों में काफी उत्साह दिखा था , उत्साही युवा सुरक्षित भविष्य की कामना लिए “हमारा वोट उसको जो नियमित रोजगार दे सबको” का धेय बना चूके थे ।
अनियमित कर्मचारियों से किए वादे अनुरूप इस बज़ट में उनके लिए प्रावधान नहीं किए जाने से समस्त अनियमित कर्मचारियों में आक्रोश है।
जबकि घोषणा पत्र में किए वादे के अनुसार अनियमित कर्मचारियों को नियमित किए जाने व छटनी नहीं किए जाने का वादा किया गया था परन्तु इसके विपरीत लगातार अनियमित कर्मचरियों की छटनी जारी है ।
अनियमित कर्मचारियों की मांगों में मुख्य रूप से नियमितीकारण किए जाने की मांग है पर अनियमित कर्मचारियों की मांगों से सरकार उदासीन नजऱ आ रही है। जबकि मुख्यमंत्री द्वारा वर्ष 2019 में कहा गया था कि यह वर्ष किसानों का,अगला वर्ष कर्मचारियों के लिए होगा। परन्तु अनियमित कर्मचारियों के किए कुछ ना देकर यह उन्हें ठेंगा दिखा दिया।अनियमित कर्मचारियों के लिए कुछ प्रावधान नहीं किए जाने से क्षुब्ध अनियमित कर्मचारियों के पास एक मात्र विकल्प आन्दोलन ही है।
जनघोषणा पत्र में सरकार बनने के 10 दिन के अंदर नौकरी, नियमितिकरण, और बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था,लेकिन पिछले 18 महीने से सिर्फ़ खोखली घोषणाओं करने के अलावा कुछ नहीं किया है। जब कोरोना काल में सरकार प्रदेश भर में शराब की होम डिलीवरी और निगम मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति कर सकती है, तो नौकरी नियमितिकरण और भत्ता क्यों नहीं दे सकती? क्या सरकार की नजर में अब प्रदेश के युवा केवल गोबर बीनने लायक ही बचे हैं?
उपरोक्त वादा खिलाफी अनियमित कर्मचारियों गुनगुनाने का मन बनाया है ....
क्या हुआ तेरा वादा ...........वो कसम ............
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